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सत्यस्वयंभू: दृश्य से द्रष्टा की ओर
सत्यस्वयंभू: दृश्य से द्रष्टा की ओर
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About The Book
जब तक दिशा सूर्य की ओर न हो, मनुष्य अपनी परछाई को नहीं हरा सकता, चाहे वह कितना भी तेज़ क्यूँ न दौड़ ले—और जब तक दिशा भगवान की ओर न हो, अपने दुःखों को भी नहीं हरा सकता, चाहे वह संसार में कितना भी तेज़ क्यूँ न दौड़ ले।
आत्मा-रूपी भगवान की ओर बढ़ना ही मुक्ति है।
सत्यस्वयंभू 132 सूक्ष्म वचनों के माध्यम से आपको भीतर के सत्य, शांति और साक्षीभाव की ओर ले जाता है।
यह पुस्तक जीवन की क्षणभंगुर परछाइयों को पीछे छोड़कर आपके वास्तविक, अविनाशी स्वरूप में स्थित होने का मार्गदर्शक है।
सत्यस्वयंभू: स्वयं को जानने का, स्वयं में स्थित होने का अंतिम सूत्र।
About The Author
भगवान श्री नरेंद्र किशोर नए योग के एक दार्शनिक और आत्मज्ञानी सद्गुरु हैं, जिनका जीवन विज्ञान (Science) और अध्यात्म (Spirituality) के मिलन का प्रतीक है।
कॉर्पोरेट जगत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर MBA और इंजीनियरिंग में शीर्ष सफलता प्राप्त करने के बाद, उन्होंने भौतिक सुख की सीमाओं को समझा। उनका गहरा बोध है: ""विज्ञान (कार) आपको सागर तक तो ले जा सकता है, लेकिन अध्यात्म (नाव) ही आपको उसके पार करा सकता है।""
वे सरल भाषा में परम सत्य को समझाते हैं। उनकी अन्य प्रसिद्ध कृतियों में ""Pure Self Realisation"" और ""परम आत्मबोध: अहं से ब्रह्म तक"" शामिल हैं।
आत्मिक ज्ञान और प्रवचन के लिए आप उनके यूट्यूब चैनल ""Bhagwan Shri Narendra Kishore"" और इंस्टाग्राम अकाउंट @Shrinarendrakishore पर भी जुड़ सकते हैं।
उनका मार्गदर्शन आधुनिक साधकों को उस शाश्वत सत्य की ओर ले जाता है जो हर सफलता से परे है, और जो सत्यस्वयंभू के रूप में हर व्यक्ति के भीतर वास करता है।
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