Classic Shelf
Kashi Se: Shunyata Mein Sarthakta Ka Dwar
Kashi Se: Shunyata Mein Sarthakta Ka Dwar
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किताब के बारे में
काशी—वह नगरी जहाँ समय ठहर जाता है और आत्मा अपनी सच्चाई से सामना करती है। गंगा की हर लहर, मंदिरों की हर घंटी और घाटों की हर सीढ़ी जीवन के उस रहस्य की ओर इशारा करती है, जिसे हम अक्सर भाग-दौड़ में भूल जाते हैं।
“काशी : शून्यता में सार्थकता का द्वार” केवल एक यात्रा-वृत्तांत नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा है। यह उन पलों की दास्तान है जब हँसी-ठिठोली के बीच अचानक मृत्यु का गंभीर सच सामने आ खड़ा होता है। जब घाटों की भीड़ में भी गहरी शांति सुनाई देती है। और जब साधुओं की सरल-सी बातें जीवन का सबसे गहरा दर्शन सिखा जाती हैं।
लेखक अभित पटेल “पार्थ” ने अपने अनुभवों को इस पुस्तक में ऐसे शब्द दिए हैं कि पाठक स्वयं काशी की गलियों, घाटों और मंदिरों में साँस लेता हुआ महसूस करेगा।
यह पुस्तक याद दिलाती है कि—
जीवन का असली मूल्य संपत्ति या पद में नहीं, बल्कि समय, विश्वास और अपनापन में है। मृत्यु अंत नहीं, बल्कि मोक्ष के द्वार की शुरुआत है।और सबसे बड़ा सत्य यह कि—
काशी वही बुलाता है, जिसे स्वयं महादेव बुलाते हैं।
“काशी : शून्यता में सार्थकता का द्वार” आपको यह अनुभव कराएगी कि कभी-कभी सबसे गहरे उत्तर हमें शून्यता में ही मिलते हैं।
लेखक के बारे में
अभित पटेल “पार्थ” उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले के एक साधारण परिवार से हैं, लेकिन उनकी सोच और लेखनी ने उन्हें असाधारण बना दिया। बचपन से ही अध्यात्म, मित्रता और जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं को गहराई से महसूस करना उनकी पहचान रही है।
नीम करौली बाबा और भगवान महाकाल में गहरी आस्था रखने वाले पार्थ ने जीवन के संघर्षों और अनुभवों से प्रेरणा लेकर लेखन की ओर रुख किया। उनकी लेखनी केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि आत्मा का आईना है—जहाँ पाठक को अपनी ही झलक मिलती है।
“काशी : शून्यता में सार्थकता का द्वार” उनकी पहली पुस्तक है, जिसमें यात्रा, अनुभव, दर्शन और जीवन की सच्चाइयों का संगम है। पार्थ मानते हैं कि लेखन केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आत्मिक उन्नति का माध्यम है।
उनकी यह कोशिश है कि पाठक इस किताब के माध्यम से काशी को केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक आत्मिक अनुभव के रूप में महसूस करें।
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